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"डोर / अरुण कमल" के अवतरणों में अंतर
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कि ब्याज के भरोसे बैठा रहूँ | कि ब्याज के भरोसे बैठा रहूँ | ||
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हाथ पर हाथ धर | हाथ पर हाथ धर | ||
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मुझे तो हर दिन नाख़ून से | मुझे तो हर दिन नाख़ून से | ||
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खोदनी है नहर | खोदनी है नहर | ||
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और खींच कर लानी है पानी की डोर | और खींच कर लानी है पानी की डोर | ||
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धुर ओंठ तक | धुर ओंठ तक | ||
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जितना पानी नहीं कण्ठ में | जितना पानी नहीं कण्ठ में | ||
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उससे अधिक तो पसीना बहा | उससे अधिक तो पसीना बहा | ||
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दसों नाख़ूनों में धँसी है मट्टी | दसों नाख़ूनों में धँसी है मट्टी | ||
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ख़ून से छलछल उंगलियाँ | ख़ून से छलछल उंगलियाँ | ||
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दूर चमकती है नदी | दूर चमकती है नदी | ||
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एक नदी बहुत दूर जैसे | एक नदी बहुत दूर जैसे | ||
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थर्मामीटर में पारे की डोर । | थर्मामीटर में पारे की डोर । | ||
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13:30, 5 नवम्बर 2009 के समय का अवतरण
मेरे पास कुछ भी तो जमा नहीं
कि ब्याज के भरोसे बैठा रहूँ
हाथ पर हाथ धर
मुझे तो हर दिन नाख़ून से
खोदनी है नहर
और खींच कर लानी है पानी की डोर
धुर ओंठ तक
जितना पानी नहीं कण्ठ में
उससे अधिक तो पसीना बहा
दसों नाख़ूनों में धँसी है मट्टी
ख़ून से छलछल उंगलियाँ
दूर चमकती है नदी
एक नदी बहुत दूर जैसे
थर्मामीटर में पारे की डोर ।