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"सींग / अरुण कमल" के अवतरणों में अंतर

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लगातार बढ़ रहा है सींग
 
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घूमता तेज़ नुकीला आँख पर अन्दर
 
घूमता तेज़ नुकीला आँख पर अन्दर
 
 
धीरे-धीरे मेरा देखना कट रहा है
 
धीरे-धीरे मेरा देखना कट रहा है
 
 
डिग रही है ठौर से पुतली
 
डिग रही है ठौर से पुतली
 
 
मेरा चांद कट रहा है
 
मेरा चांद कट रहा है
 
 
कट रही है पतंग मेरा रास्ता रसद पानी का
 
कट रही है पतंग मेरा रास्ता रसद पानी का
 
 
जब भी ताकता पड़ता वही सामने
 
जब भी ताकता पड़ता वही सामने
 
 
जितना भी चीरूँ जितना भी फेरूँ
 
जितना भी चीरूँ जितना भी फेरूँ
 
 
बस वही वही एक कुछ नहीं
 
बस वही वही एक कुछ नहीं
 
 
धब्बा भी नही काली भीत
 
धब्बा भी नही काली भीत
 
 
लगातार बढ़ रहा है गेंडुर बांधता
 
लगातार बढ़ रहा है गेंडुर बांधता
 
 
इतना कि दोनों पलकें अब सट नहीं रहीं
 
इतना कि दोनों पलकें अब सट नहीं रहीं
 
 
आँख पर अंकुश दाबता कोआ घोंटता पुतली
 
आँख पर अंकुश दाबता कोआ घोंटता पुतली
 
 
मुझ ही से फूट मेरा सींग मुझ ही को भेदता ।
 
मुझ ही से फूट मेरा सींग मुझ ही को भेदता ।
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13:31, 5 नवम्बर 2009 के समय का अवतरण

लगातार बढ़ रहा है सींग
घूमता तेज़ नुकीला आँख पर अन्दर
धीरे-धीरे मेरा देखना कट रहा है
डिग रही है ठौर से पुतली
मेरा चांद कट रहा है
कट रही है पतंग मेरा रास्ता रसद पानी का
जब भी ताकता पड़ता वही सामने
जितना भी चीरूँ जितना भी फेरूँ
बस वही वही एक कुछ नहीं
धब्बा भी नही काली भीत
लगातार बढ़ रहा है गेंडुर बांधता
इतना कि दोनों पलकें अब सट नहीं रहीं
आँख पर अंकुश दाबता कोआ घोंटता पुतली
मुझ ही से फूट मेरा सींग मुझ ही को भेदता ।