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जैसे तुम कोई इस्तरी हो और मैं कोई भीगी सलवटों भरी कमीज़ | जैसे तुम कोई इस्तरी हो और मैं कोई भीगी सलवटों भरी कमीज़ | ||
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तुम आहिस्त-आहिस्ते मुझे दबाती सहला रही हो | तुम आहिस्त-आहिस्ते मुझे दबाती सहला रही हो | ||
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और भाप उठ रही है और सलवटें सुलट-खुल रही हैं | और भाप उठ रही है और सलवटें सुलट-खुल रही हैं | ||
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इतने मरोड़ों की झुर्रियाँ- | इतने मरोड़ों की झुर्रियाँ- | ||
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तुम मुझ में कितनी पुकारें उठा रही हो | तुम मुझ में कितनी पुकारें उठा रही हो | ||
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कितनी बेशियाँ डाल रही हो मेरे जल में | कितनी बेशियाँ डाल रही हो मेरे जल में | ||
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मैं जल चुका काग़ज़ जिस पर दौड़ती जा रही आख़िरी लाल चिंगारी | मैं जल चुका काग़ज़ जिस पर दौड़ती जा रही आख़िरी लाल चिंगारी | ||
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मैं तुम्हारे जाल को भर रहा हूँ मैं पानी । | मैं तुम्हारे जाल को भर रहा हूँ मैं पानी । | ||
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13:32, 5 नवम्बर 2009 के समय का अवतरण
और तुम इतना आहिस्ते मुझे बांधती हो
जैसे तुम कोई इस्तरी हो और मैं कोई भीगी सलवटों भरी कमीज़
तुम आहिस्त-आहिस्ते मुझे दबाती सहला रही हो
और भाप उठ रही है और सलवटें सुलट-खुल रही हैं
इतने मरोड़ों की झुर्रियाँ-
तुम मुझ में कितनी पुकारें उठा रही हो
कितनी बेशियाँ डाल रही हो मेरे जल में
मैं जल चुका काग़ज़ जिस पर दौड़ती जा रही आख़िरी लाल चिंगारी
मैं तुम्हारे जाल को भर रहा हूँ मैं पानी ।