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"कौन पढ़ेगा ? / नरेन्द्र मोहन" के अवतरणों में अंतर

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22:28, 5 नवम्बर 2009 का अवतरण

रंगों की बुनावट में चमक है अब भी

चमक में छिपा है कोई संदेश कल का कल के लिए

गिरती दीवारों पर अंकित है एक अबूझ लिपि

कौन पढ़ेगा ढहती इमारत की भाषा ?