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कि अभाव से उसके / अरुणा राय

82 bytes removed, 17:17, 5 नवम्बर 2009
{{KKRachna
|रचनाकार=अरुणा राय
}}माउस को {{KKCatKavita}}<brpoem>माउस को ... पर ले जाकर<br>क्लिक करती हूं ..... <br><br>
याहू मैसेंजर का बक्सा <br> कौंधता हुआ आ जाता है उसी तरह<br>पर जो नहीं आते <br> वे हैं शब्द <br> हाय या हाई या कहां हैं आप ... <br> के जवाब में कौंधते <br> चले आते थे जो<br><br>
मतलब जो रोज आती थी परदे पर<br>वह छाया नहीं थी मात्र<br>जैसा कि सोचती थी मैं <br> कभी-कभी<br>ठीक है कि एक परदा रहता था बीच में<br>पर परदे के पीछे की दुनिया<br>उतनी अबूझ नहीं थी कभी <br> जैसी कि लग रही है<br>अब इस समय <br> जब कि वह नहीं है वहां <br> परदे के उस पार<br><br>
एक शून्य को खटखटाता <br> चला जा रहा <br> पर शून्य है कि <br> पानी की लकीर तरह <br> माउस क्लिक करने की क्रिया को<br>लील जा रहा है<br><br>
ओह क्या करूं मैं <br> कि एक खालीपन ने भर दिया है मुझे <br> इस तरह <br> कि खाली नहीं कर पा रही खुद को <br> विचार से <br> कि भाव से <br> कि अभाव से<br>
उसके...
</poem>
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