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23:48, 5 नवम्बर 2009 के समय का अवतरण
एक शे’र
खु़दा हसीनो-जमील है और तुम्हारी आँखों में जलवागर है
वह मौजे-रंगे-बहार, तुम जिस से गुलफ़िशाँ<ref>पुष्पित-पल्लवित</ref>हो मिरी ऩज़र है
शब्दार्थ
<references/>