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कई बार     
 
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झुंझलाया हूँ मैं  
 
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सड़क के किनारे खड़ा हो
 
सड़क के किनारे खड़ा हो
 
 
न रुकने पर बस
 
न रुकने पर बस
 
 
गिड़गिड़ाया हूँ कई बार
 
गिड़गिड़ाया हूँ कई बार
 
 
बस कंडक्टर से
 
बस कंडक्टर से
 
 
चलने को गाँव तक
 
चलने को गाँव तक
 
 
हर बार
 
हर बार
 
 
कचोटता मेरा मन  
 
कचोटता मेरा मन  
 
 
कसमसाता
 
कसमसाता
 
 
आहत दर्प से गुज़रता मैं  
 
आहत दर्प से गुज़रता मैं  
 
 
तेज़ गति वाहनों से  
 
तेज़ गति वाहनों से  
 
 
देखता इंतज़ार करते
 
देखता इंतज़ार करते
 
 
ग्रामवासियों को
 
ग्रामवासियों को
 
 
किनारे सड़क के
 
किनारे सड़क के
 
 
नहीं कचोटता मन
 
नहीं कचोटता मन
 
 
न आहत होता दर्प  
 
न आहत होता दर्प  
 
 
सोचता
 
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नहीं मेरे हाथ में लगाम
 
नहीं मेरे हाथ में लगाम
 
 
न पैरों के नीचे ब्रेक
 
न पैरों के नीचे ब्रेक
 
 
नहीं
 
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अब कोई अपराध बोध भी नहीं
 
अब कोई अपराध बोध भी नहीं
 
 
मेरे मन में
 
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00:05, 6 नवम्बर 2009 के समय का अवतरण

कई बार
झुंझलाया हूँ मैं
सड़क के किनारे खड़ा हो
न रुकने पर बस
गिड़गिड़ाया हूँ कई बार
बस कंडक्टर से
चलने को गाँव तक
हर बार
कचोटता मेरा मन
कसमसाता
आहत दर्प से गुज़रता मैं
तेज़ गति वाहनों से
देखता इंतज़ार करते
ग्रामवासियों को
किनारे सड़क के
नहीं कचोटता मन
न आहत होता दर्प
सोचता
नहीं मेरे हाथ में लगाम
न पैरों के नीचे ब्रेक
नहीं
अब कोई अपराध बोध भी नहीं
मेरे मन में