भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"जब तिरा नाम लिया / अली सरदार जाफ़री" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अली सरदार जाफ़री }} <poem> जब तिरा नाम लिया ============= जब त...)
 
पंक्ति 3: पंक्ति 3:
 
|रचनाकार=अली सरदार जाफ़री
 
|रचनाकार=अली सरदार जाफ़री
 
}}
 
}}
 +
{{KKCatGhazal}}
 
<poem>
 
<poem>
 
जब तिरा नाम लिया
 
=============
 
 
 
जब तिरा नाम लिया दिल ने, तो दिल से मेरे
 
जब तिरा नाम लिया दिल ने, तो दिल से मेरे
 
जगमागाती हुई कुछ वस्ल की रातें निकलीं
 
जगमागाती हुई कुछ वस्ल की रातें निकलीं
पंक्ति 15: पंक्ति 12:
 
दर्द जो तिरी तरह नूर भी है नार भी है
 
दर्द जो तिरी तरह नूर भी है नार भी है
 
दुश्मने-जाँ भी है, महबूब भी, दिलदार भी है
 
दुश्मने-जाँ भी है, महबूब भी, दिलदार भी है
 
 
<poem>
 
<poem>

00:09, 6 नवम्बर 2009 का अवतरण

जब तिरा नाम लिया दिल ने, तो दिल से मेरे
जगमागाती हुई कुछ वस्ल की रातें निकलीं
अपनी पलकों पे सजाये हुए अश्कों के चिराग़
सर झुकाये हुए कुछ हिज्र की शामें गुज़रीं
क़ाफ़िले खो गये फिर दर्द के सहराओं में
दर्द जो तिरी तरह नूर भी है नार भी है
दुश्मने-जाँ भी है, महबूब भी, दिलदार भी है