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|रचनाकार=अली सरदार जाफ़री
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मैं कि हूँ प्यास के दरिया की तड़पती हुई मौज
मैं अगर पी न सका वक़्त का यह आबे-हयात
प्यास की आग में डरता हूँ कि जल जाऊँगा
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