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"सिंदबाद : एक / अवतार एनगिल" के अवतरणों में अंतर
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10:54, 6 नवम्बर 2009 के समय का अवतरण
पिता का धन
मौसमी मित्रों पर लुटा
ठगा-सा
रह गया
सिंदबाद
और अब
इस निर्मम अंधेरी रात में
आबाद शहर का बरबाद नागरिक
गश्त लगाते चौकीदार की हांक संग
देर तक जगता है
नींद से टलता है
पर नींद में चलता है---
किसी विशाल ह्वेल की पीठ-सी
ठण्डी दीवारों को टटोलता
वापस अपने गूदड़ तक आता है
और जैसे-तैसे
कर्ज़ का जुगाड़ कर
यात्रा शुरू करने का सपना देखते हुए
बुलंद इरादे की
गहरी नींद को
अर्पित हो जाता है---
सिंदबाद।