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"कुमार विकल के नाम / अवतार एनगिल" के अवतरणों में अंतर
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23:26, 6 नवम्बर 2009 के समय का अवतरण
1
भरे हुए मेले में
पिता की अंगुली से बंधे हुए
उस बच्चे ने
चुपके से हाथ छुड़ाया
जेब का सिक्का
जादुई बक्से में डाला
और....बाइस्कोप देखते-देखते
मेला हो गया
2
बचपन में
एक बार उसने
माँ से ज़िद की थी
'बाईस्कोप देखूँगा'
निरुपमा दत्त
देखना तो ज़रा...
होगा, यहीं-कहीं
तीजनबाई की नाचती छाया तले
तमाशा देखता कुमार विकल
3
चाम के दाम बारे शहर में
मुहब्बत का रंग तलाशता
एक बालक
दर्पण में झाँकते ही
डर गया
दोस्त ने आते ही कहा_
सुना? विकल मर गया!
4
चम्बा की धूप को
पहाड़ी गाय कहने वाला बच्चा
रूठ कर
सो गया
सपनों में
धूप संग खेलता
परछाई हो गया!