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"ख़त-एक / अवतार एनगिल" के अवतरणों में अंतर

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हे पुत्री!
  
जाने कब
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जाने कितने युग
किस मोड़ पर
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यह कायर पिता
किस भेस में
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तुम्हारा वध करता रहा
मिल जाये
+
अपने ही लहू की
बहुरूपिया
+
सच्चाई से डरता रहा
  
जाने कब वह
+
हे पुत्री!
बादल पुते
+
रखना याद
काले आकाश से उतरे
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जब कभी तुम
और कहे--
+
इस जनक से
चलें?
+
मिलने आओगी
 
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इसे संपूर्ण प्राणों से
जाने कब किसी चमचमाते धवल दिन
+
अपनी ही  
वह बाज़ की मानिंद गिरे
+
प्रतीक्षा करने पाओगी
और झपट ले
+
इस नन्हीं चिड़िया को
+
बीचों-बीच
+
हवा में ही
+
 
+
लुका-छिपी के इस खेल में
+
तुम्हारा बहुरूपिया
+
जाने कब
+
सिपाही बनकर आये
+
इस चोर की घिग्घी बँधे
+
वह इस काँपती कलाई पर हाथ धरे
+
और हँसकर कहे:
+
पकड़ लिया न!
+
 
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23:27, 6 नवम्बर 2009 के समय का अवतरण

हे पुत्री!

जाने कितने युग
यह कायर पिता
तुम्हारा वध करता रहा
अपने ही लहू की
सच्चाई से डरता रहा

हे पुत्री!
रखना याद
जब कभी तुम
इस जनक से
मिलने आओगी
इसे संपूर्ण प्राणों से
अपनी ही
प्रतीक्षा करने पाओगी