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"अभिनेता / अवतार एनगिल" के अवतरणों में अंतर
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12:21, 7 नवम्बर 2009 के समय का अवतरण
जब-जब नाटक हुआ
वह व्यक्ति
दूसरों के चेहरे पहनकर
मंच पर गया
भीड़ के प्रति
अपनी उक्ताहट छिपाकर
मगर,होंठों पर मुस्कान लाकर
उसने तालियां बजाते दर्शकों को देखा
झुककर अभिवादन किया
और गदगद हो गया
तिस पर भी
जानता है वह
कि मुखौटों और लिबासों की कैद में
वह कभी खुद नहीं बन पाया
प्रेम का अभिनय दुहराते हुए
उसने प्रेम की गरिमा खो दी
सच्ची उकताहट
और झूठी मुस्कान के बीच
थरथराता है
बस एक अभिवादन
जानता है अभिनेता
कि जब-जब उसने नाटक किया
दर्शक की आंख से आंसू भर गये
पर जब कभी
उसकी अपनी आंख में
आंसू चमका
तो हर किसी ने कहा :
ना-ट-क करता है
अ-भि-ने-ता ।