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सुदामा चरित / नरोत्तमदास

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पाँउ कहाँ ते अटारि अटा, जिनको विधि दीन्हि है टूटि सी छानी।
जो पै दरिद्र लिखो है ललाट तौ, काहु पै मेटि न जात अजानी॥अयानी॥
'''(सुदामा)'''
द्वारिका जाहु जू द्वारिका जाहु जू, आठहु जाम यहीजक यहै ठक तेरे।
जौ न कहौ करिये तो बड़ौ दुख, जैये कहाँ अपनी गति हेरे॥
एक तें सरस एक द्वारिका के भौन हैं।
पूछे बिन कोऊ कहँ काह कहूँ काहू सों न करे बात,
देवता से बैठे सब साधि-साधि मौन हैं।
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