भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"पशु-पंछी: मेल-जोल / त्रिलोचन" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=त्रिलोचन }}<poem>चौओं को देखते रहने का काम उन दो चरव…)
 
(कोई अंतर नहीं)

09:50, 8 नवम्बर 2009 के समय का अवतरण

चौओं को देखते रहने का काम
उन दो चरवाहों को सौंपा
जो घर से खा पी कर आए थे
गौरू पसंद की जगह बैठ गए, कोई
रौंथने लगा, कोई अधलेटा रहा, दो एक
चिड़ियाँ उनपर जमे कीड़े काढ़ने लगीं,
चिड़ियों और जानवरों का यह सहयोग
सामान्य है।

पालतू पशु सतवारे अठवारे पर
नहलाए जाते हैं जिस से इन सब को
स्वस्थ रखा जा सके।

एक पाड़ा दाएँ-बाएँ करवट ले रहा
था। आहट कम हो, चिडियाँ लगन से कीड़े
किलनी चुन रही थी। चिडियों, चौपायों का
विश्वास भरा एक दूसरे का सहयोग
कहीं और कभी देखने को मिल सकता है।

3.10.2009