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"वक़्ते-रुख़सत कहीं तारे कहीं जुगनू आए / बशीर बद्र" के अवतरणों में अंतर
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तीर खाया हुआ जैसे कोई आहू आए | तीर खाया हुआ जैसे कोई आहू आए | ||
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सबको अपनाने का उस शोख़ को जादू आए | सबको अपनाने का उस शोख़ को जादू आए | ||
11:08, 8 नवम्बर 2009 के समय का अवतरण
वक़्ते-रुख़सत कहीं तारे कहीं जुगनू आए
हार पहनाने मुझे फूल से बाजू आए
बस गई है मेरे अहसास में ये कैसी महक
कोई ख़ुशबू मैं लगाऊँ, तेरी ख़ुशबू आए
इन दिनों आपका आलम भी अजब आलम है
तीर खाया हुआ जैसे कोई आहू आए
उसकी बातें कि गुलो-लाला पे शबनम बरसे
सबको अपनाने का उस शोख़ को जादू आए
उसने छूकर मुझे पत्थर से फिर इन्सान किया
मुद्दतों बाद मेरी आँखों में आँसू आए
(१९९२)