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"सलवटें / आकांक्षा पारे" के अवतरणों में अंतर

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11:49, 8 नवम्बर 2009 के समय का अवतरण

जो चुभती हैं तुम्हें
वो निगाहें नहीं हैं लोगों की
वो सलवटें हैं
मेरे बिस्तर की
जो बन जाती हैं
अकसर
रात भर करवटें
बदलते हुए।