भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"तुमसे मिलके / अश्वघोष" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Pratishtha (चर्चा | योगदान) (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अश्वघोष |संग्रह= }} <Poem> तुमसे मिलके खुश रहता हूँ त...) |
|||
पंक्ति 4: | पंक्ति 4: | ||
|संग्रह= | |संग्रह= | ||
}} | }} | ||
− | + | {{KKCatKavita}} | |
<Poem> | <Poem> | ||
तुमसे मिलके | तुमसे मिलके | ||
पंक्ति 29: | पंक्ति 29: | ||
तुलसी जैसा बोध उभरता | तुलसी जैसा बोध उभरता | ||
तुमसे मिलके | तुमसे मिलके | ||
+ | </poem> |
16:59, 8 नवम्बर 2009 के समय का अवतरण
तुमसे मिलके
खुश रहता हूँ
तुमसे मिलके
उजले लगते
धूल धूसरित मैले से दिन
तुमसे मिलके
जग से मिलते
बंजारे मेरे सब पल-छिन
तुमसे मिलके
अनायास ही
हट जाते कुंठा के छिलके
तुमसे मिलके
वात्सल्य का
एक अजब झरना सा झरता
तुमसे मिलके
मन आँगन में
तुलसी जैसा बोध उभरता
तुमसे मिलके