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"बदली नहीं है अब तक / अश्वघोष" के अवतरणों में अंतर
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17:10, 8 नवम्बर 2009 का अवतरण
बदली नहीं है अब तक तकदीर रोशनी की।
बन-बन के रह गई है तस्वीर रोशनी की।
खूनी हवा से कह दो बद हरकतो को छोड़े
हालत हुई है अब तो गम्भीर रोशनी की।
उल्लेख तक को तरसे घनघोर अँधेरे भी
लिखी गई है जब-जब तहरीर रोशनी की।
गुमनाम ये अँधेरे आ जाए बाज़ वरना
भारी पड़ेगी उनको शमशीर रोशनी की।
तुम दीप तो जलाओ हर ओर अँधेरा है
कुछ तो नज़र में आए तासीर रोशनी की।