भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"वहाँ भी / अशोक वाजपेयी" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) |
|||
पंक्ति 4: | पंक्ति 4: | ||
|संग्रह=कहीं नहीं वहीं / अशोक वाजपेयी | |संग्रह=कहीं नहीं वहीं / अशोक वाजपेयी | ||
}} | }} | ||
+ | {{KKCatKavita}} | ||
+ | <poem> | ||
+ | हम वहाँ भी जायेंगे | ||
+ | जहाँ हम कभी नहीं जायेंगे | ||
− | हम | + | अपनी आखिरी उड़ान भरने से पहले, |
− | + | नीम की डाली पर बैठी चिड़िया के पास, | |
+ | आकाशगंगा में आवारागर्दी करते किसी नक्षत्र के साथ, | ||
+ | अज्ञात बोली में उचारे गये मंत्र की छाया में | ||
+ | हम जायेंगे | ||
+ | स्वयं नहीं | ||
+ | तो इन्हीं शब्दों से- | ||
− | + | हमें दुखी करेगा किसी प्राचीन विलाप का भटक रहा अंश, | |
− | + | हम आराधना करेंगे | |
− | + | मंदिर से निकाले गये | |
− | + | किसी अज्ञातकुलशील देवता की- | |
− | हम | + | |
− | + | ||
− | + | ||
− | + | हम थककर बैठ जायेंगे | |
− | हम | + | दूसरों के लिए की गयी |
− | + | शुभकामनाओं और मनौतियों की छाँह में- | |
− | + | ||
− | हम | + | हम बिखर जायेंगे |
− | + | पंखों की तरह | |
− | + | पंखुरियों की तरह | |
+ | पंत्तियों और शब्दों की तरह- | ||
− | + | हम वहाँ भी जायेंगे | |
− | + | जहाँ हम कभी नहीं जायेंगे। | |
− | + | </poem> | |
− | + | ||
− | + | ||
− | हम वहाँ भी जायेंगे | + | |
− | जहाँ हम कभी नहीं जायेंगे।< | + |
18:25, 8 नवम्बर 2009 के समय का अवतरण
हम वहाँ भी जायेंगे
जहाँ हम कभी नहीं जायेंगे
अपनी आखिरी उड़ान भरने से पहले,
नीम की डाली पर बैठी चिड़िया के पास,
आकाशगंगा में आवारागर्दी करते किसी नक्षत्र के साथ,
अज्ञात बोली में उचारे गये मंत्र की छाया में
हम जायेंगे
स्वयं नहीं
तो इन्हीं शब्दों से-
हमें दुखी करेगा किसी प्राचीन विलाप का भटक रहा अंश,
हम आराधना करेंगे
मंदिर से निकाले गये
किसी अज्ञातकुलशील देवता की-
हम थककर बैठ जायेंगे
दूसरों के लिए की गयी
शुभकामनाओं और मनौतियों की छाँह में-
हम बिखर जायेंगे
पंखों की तरह
पंखुरियों की तरह
पंत्तियों और शब्दों की तरह-
हम वहाँ भी जायेंगे
जहाँ हम कभी नहीं जायेंगे।