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|रचनाकार=अश्वघोष
|संग्रह=जेबों में डर / अश्वघोष
}}[[Category:गज़ल]]{{KKCatGhazal}}<poem>
कुछ क़ाज़ियों के बीच में मुर्ग़ी हलाल है।
बस ये हमारे देश की ज़िन्दा मिसाल है।
चीलें मिलेंगी पेट को बिल्कुल भरे हुए,
पर आदमी को देखिए वो तंग हाल तंगहाल है।
क्यों भेड़ियों का राज है संसद के सहन में,
ज़हनों में आज सबके यही एक सवाल है।
यूँ तो सज़ा के गाँव को वो घर में खुश ख़ुश हुए,
लगता है जैसे गाँव तो अब भी बवाल है।