"स्टेशन / असद ज़ैदी" के अवतरणों में अंतर
(New page: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=असद ज़ैदी }} 26 डिग्री और 77 डिग्री देशान्तर पर एक छोटा सा...) |
|||
(एक अन्य सदस्य द्वारा किया गया बीच का एक अवतरण नहीं दर्शाया गया) | |||
पंक्ति 2: | पंक्ति 2: | ||
{{KKRachna | {{KKRachna | ||
|रचनाकार=असद ज़ैदी | |रचनाकार=असद ज़ैदी | ||
+ | |संग्रह=कविता का जीवन / असद ज़ैदी | ||
}} | }} | ||
− | + | {{KKCatKavita}} | |
− | + | <poem> | |
26 डिग्री और 77 डिग्री देशान्तर पर | 26 डिग्री और 77 डिग्री देशान्तर पर | ||
− | |||
एक छोटा सा स्टेशन है | एक छोटा सा स्टेशन है | ||
− | |||
जिस पर पानी बरस रहा है | जिस पर पानी बरस रहा है | ||
− | |||
और पिछले बीस साल से एक तख़्ती | और पिछले बीस साल से एक तख़्ती | ||
− | |||
लटकी है :'अजनबियों से सावधान !' | लटकी है :'अजनबियों से सावधान !' | ||
− | |||
मज़मून अँग्रेज़ी में है ठग लिए जाते हैं | मज़मून अँग्रेज़ी में है ठग लिए जाते हैं | ||
− | |||
वे जिन्हें नहीं आती अँग्रेज़ी | वे जिन्हें नहीं आती अँग्रेज़ी | ||
− | |||
शेड से पानी चू रहा था | शेड से पानी चू रहा था | ||
− | |||
एक साढ़े चौदह साला लड़का | एक साढ़े चौदह साला लड़का | ||
− | |||
जिसने पलकें मूँदकर मैट्रिक कर लिया था | जिसने पलकें मूँदकर मैट्रिक कर लिया था | ||
− | |||
अनमना खड़ा चाय पीता था | अनमना खड़ा चाय पीता था | ||
− | |||
सब की ओर पीठ किए | सब की ओर पीठ किए | ||
− | |||
स्टाल के सामने अकेला | स्टाल के सामने अकेला | ||
− | |||
उसे पता नहीं था वह कौन थी | उसे पता नहीं था वह कौन थी | ||
− | |||
और वहाँ क्यों खड़ी हुई थी | और वहाँ क्यों खड़ी हुई थी | ||
− | |||
जब मुड़कर वह चलने लगा | जब मुड़कर वह चलने लगा | ||
− | |||
पीछे से आवाज़ आई | पीछे से आवाज़ आई | ||
− | |||
छोटी मौसी की उम्र की एक लड़की | छोटी मौसी की उम्र की एक लड़की | ||
− | |||
सुन्दर और बदहाल | सुन्दर और बदहाल | ||
− | |||
उसे बुलाती थी | उसे बुलाती थी | ||
− | |||
कहती थी : | कहती थी : | ||
− | |||
भइया तीन रुपये | भइया तीन रुपये | ||
− | |||
तुम्हारे पास होंगे मैं | तुम्हारे पास होंगे मैं | ||
− | |||
मुसीबत में फ़ँस गई हूँ | मुसीबत में फ़ँस गई हूँ | ||
− | |||
मुझसे कुछ मत पूछना मैं तुमको ये पैसे लौटती | मुझसे कुछ मत पूछना मैं तुमको ये पैसे लौटती | ||
− | |||
डाक से भेज दूँगी अपना नाम और | डाक से भेज दूँगी अपना नाम और | ||
− | |||
पता लिख दो इतना भरोसा तो | पता लिख दो इतना भरोसा तो | ||
− | |||
तुम मेरा करोगे । | तुम मेरा करोगे । | ||
− | |||
मैं तुम्हारे लिए भागता हुआ | मैं तुम्हारे लिए भागता हुआ | ||
− | |||
गया था दस का नोट तुड़ाने | गया था दस का नोट तुड़ाने | ||
− | |||
स्टेशन के पार-- बाज़ार में | स्टेशन के पार-- बाज़ार में | ||
− | |||
और बारिश में तरबतर होकर | और बारिश में तरबतर होकर | ||
− | |||
लौटा था बदहवास | लौटा था बदहवास | ||
− | |||
लेकिन बदकिस्मती से तुम वहाँ नहीं थीं | लेकिन बदकिस्मती से तुम वहाँ नहीं थीं | ||
− | |||
और अगले दिन भी वहाँ नहीं थीं | और अगले दिन भी वहाँ नहीं थीं | ||
− | |||
और उसके अगले दिन भी | और उसके अगले दिन भी | ||
+ | </poem> |
19:03, 8 नवम्बर 2009 के समय का अवतरण
26 डिग्री और 77 डिग्री देशान्तर पर
एक छोटा सा स्टेशन है
जिस पर पानी बरस रहा है
और पिछले बीस साल से एक तख़्ती
लटकी है :'अजनबियों से सावधान !'
मज़मून अँग्रेज़ी में है ठग लिए जाते हैं
वे जिन्हें नहीं आती अँग्रेज़ी
शेड से पानी चू रहा था
एक साढ़े चौदह साला लड़का
जिसने पलकें मूँदकर मैट्रिक कर लिया था
अनमना खड़ा चाय पीता था
सब की ओर पीठ किए
स्टाल के सामने अकेला
उसे पता नहीं था वह कौन थी
और वहाँ क्यों खड़ी हुई थी
जब मुड़कर वह चलने लगा
पीछे से आवाज़ आई
छोटी मौसी की उम्र की एक लड़की
सुन्दर और बदहाल
उसे बुलाती थी
कहती थी :
भइया तीन रुपये
तुम्हारे पास होंगे मैं
मुसीबत में फ़ँस गई हूँ
मुझसे कुछ मत पूछना मैं तुमको ये पैसे लौटती
डाक से भेज दूँगी अपना नाम और
पता लिख दो इतना भरोसा तो
तुम मेरा करोगे ।
मैं तुम्हारे लिए भागता हुआ
गया था दस का नोट तुड़ाने
स्टेशन के पार-- बाज़ार में
और बारिश में तरबतर होकर
लौटा था बदहवास
लेकिन बदकिस्मती से तुम वहाँ नहीं थीं
और अगले दिन भी वहाँ नहीं थीं
और उसके अगले दिन भी