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"हाथों की व्याख्या / असद ज़ैदी" के अवतरणों में अंतर
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मैं व्याख्या करता हूँ ये मेरे हाथ हैं | मैं व्याख्या करता हूँ ये मेरे हाथ हैं | ||
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इन हाथों की | इन हाथों की | ||
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मैं नहीं जानता कहाँ से आती है आवाज़ | मैं नहीं जानता कहाँ से आती है आवाज़ | ||
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कुछ चीज़ें चींटियों की तरह चल कर आती हैं | कुछ चीज़ें चींटियों की तरह चल कर आती हैं | ||
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हाथ इंतजार में थक जाते हैं | हाथ इंतजार में थक जाते हैं | ||
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कुछ चीज़ें तेज़ी से उड़ती हुयी ऊपर से गुज़र जाती हैं | कुछ चीज़ें तेज़ी से उड़ती हुयी ऊपर से गुज़र जाती हैं | ||
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हाथ देखते रह जाते हैं | हाथ देखते रह जाते हैं | ||
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मैंने देख कर सारी रफ़्तार देख ली है ज़माने की रफ़्तार | मैंने देख कर सारी रफ़्तार देख ली है ज़माने की रफ़्तार | ||
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मैं व्याख्या करता हूँ ये मेरी आँखे हैं | मैं व्याख्या करता हूँ ये मेरी आँखे हैं | ||
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इन आँखों की | इन आँखों की | ||
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ये आँखे सब कुछ देखने को तैयार हैं | ये आँखे सब कुछ देखने को तैयार हैं | ||
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देखिये ये आँखे देख रही हैं - समय का चक्का घूम रहा है | देखिये ये आँखे देख रही हैं - समय का चक्का घूम रहा है | ||
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मैं नहीं जानता कहाँ से आती है आवाज़ | मैं नहीं जानता कहाँ से आती है आवाज़ | ||
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मैं व्याख्या करता हूँ देखिये ये मेरा गला है | मैं व्याख्या करता हूँ देखिये ये मेरा गला है | ||
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मैं यहाँ से बोलना चाहता हूँ | मैं यहाँ से बोलना चाहता हूँ | ||
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पर यह गला बहुत डरता है अपने ही हाथों से ! | पर यह गला बहुत डरता है अपने ही हाथों से ! | ||
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19:14, 8 नवम्बर 2009 के समय का अवतरण
मैं व्याख्या करता हूँ ये मेरे हाथ हैं
इन हाथों की
मैं नहीं जानता कहाँ से आती है आवाज़
कुछ चीज़ें चींटियों की तरह चल कर आती हैं
हाथ इंतजार में थक जाते हैं
कुछ चीज़ें तेज़ी से उड़ती हुयी ऊपर से गुज़र जाती हैं
हाथ देखते रह जाते हैं
मैंने देख कर सारी रफ़्तार देख ली है ज़माने की रफ़्तार
मैं व्याख्या करता हूँ ये मेरी आँखे हैं
इन आँखों की
ये आँखे सब कुछ देखने को तैयार हैं
देखिये ये आँखे देख रही हैं - समय का चक्का घूम रहा है
मैं नहीं जानता कहाँ से आती है आवाज़
मैं व्याख्या करता हूँ देखिये ये मेरा गला है
मैं यहाँ से बोलना चाहता हूँ
पर यह गला बहुत डरता है अपने ही हाथों से !