"दूरभाष / असद ज़ैदी" के अवतरणों में अंतर
(New page: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=असद ज़ैदी |संग्रह=सामान की तलाश / असद ज़ैदी }} साहित्य अ...) |
|||
पंक्ति 4: | पंक्ति 4: | ||
|संग्रह=सामान की तलाश / असद ज़ैदी | |संग्रह=सामान की तलाश / असद ज़ैदी | ||
}} | }} | ||
− | + | {{KKCatKavita}} | |
+ | <poem> | ||
साहित्य अकादमी के अफ़सरान आपके प्रश्नों से तंग आ चुके हैं। | साहित्य अकादमी के अफ़सरान आपके प्रश्नों से तंग आ चुके हैं। | ||
− | |||
उन्हें सताना बंद कीजिए - उन्हें नहीं मालूम बंदी कविराय का फ़ोन नंबर | उन्हें सताना बंद कीजिए - उन्हें नहीं मालूम बंदी कविराय का फ़ोन नंबर | ||
− | |||
और कलानाथ भा.प्र.से. के घर का पता | और कलानाथ भा.प्र.से. के घर का पता | ||
− | |||
वे आपको कैसे मिला सकते हैं सुशीला गुजरांवाल से | वे आपको कैसे मिला सकते हैं सुशीला गुजरांवाल से | ||
− | |||
या उनके ख़ाविंद से जिन्हें ख़ुद नहीं आजकल अपना पता! | या उनके ख़ाविंद से जिन्हें ख़ुद नहीं आजकल अपना पता! | ||
− | |||
कौन खोटे? महेश खोटे! अजी वो तो कभी के यहाँ से जा चुके... | कौन खोटे? महेश खोटे! अजी वो तो कभी के यहाँ से जा चुके... | ||
− | |||
महादेव प्रसाद से मिलिए या टेलिफ़ोन इंक्वायरी से पूछिए | महादेव प्रसाद से मिलिए या टेलिफ़ोन इंक्वायरी से पूछिए | ||
− | |||
महादेव प्रसाद? हाँ हाँ वही... | महादेव प्रसाद? हाँ हाँ वही... | ||
− | |||
परसों ही की बात है फ़ोन की घंटी बजी और | परसों ही की बात है फ़ोन की घंटी बजी और | ||
− | |||
अकादमी के सचिव से पूछा गया हमदर्द मुरादाबादी का | अकादमी के सचिव से पूछा गया हमदर्द मुरादाबादी का | ||
− | |||
स्वास्थ्य अब कैसा है और अकादमी का कोई आदमी | स्वास्थ्य अब कैसा है और अकादमी का कोई आदमी | ||
− | |||
उनके निवासस्थान पर तैनात है या नहीं... | उनके निवासस्थान पर तैनात है या नहीं... | ||
− | |||
और हास्य कविता महाकुंभ की तारीख़ें क्या बदल दी | और हास्य कविता महाकुंभ की तारीख़ें क्या बदल दी | ||
− | |||
गईं हैं और वो जो गुरदास कान आने वाले थे | गईं हैं और वो जो गुरदास कान आने वाले थे | ||
− | |||
कब आएंगे? | कब आएंगे? | ||
− | |||
साहित्य अकादमी के कारकुन | साहित्य अकादमी के कारकुन | ||
− | |||
शादी के सुंदर कार्ड बनवाने में आपकी मदद नहीं कर सकते | शादी के सुंदर कार्ड बनवाने में आपकी मदद नहीं कर सकते | ||
− | |||
हाँ तलाक़शुदा लोगों का अकादमी अपने | हाँ तलाक़शुदा लोगों का अकादमी अपने | ||
− | |||
वाचनालय में स्वागत करती है - वे बेहतरीन पाठक साबित होते हैं! | वाचनालय में स्वागत करती है - वे बेहतरीन पाठक साबित होते हैं! | ||
− | |||
जी नहीं, मसख़रों की अखिल भारतीय डाइरेक्टरी हम नहीं छापते | जी नहीं, मसख़रों की अखिल भारतीय डाइरेक्टरी हम नहीं छापते | ||
− | |||
हाँ कालातीत हास्य से जो रिश्ता साहित्य का बनता है उसको | हाँ कालातीत हास्य से जो रिश्ता साहित्य का बनता है उसको | ||
− | |||
अकादमी मानती है... और इस विषय पर | अकादमी मानती है... और इस विषय पर | ||
− | |||
सेमिनार की योजना कुछ समय से विचाराधीन है। | सेमिनार की योजना कुछ समय से विचाराधीन है। | ||
− | |||
जी निखिल हिंदू सम्मेलन की गतिविधियों से तो हम वाकिफ़़ नहीं | जी निखिल हिंदू सम्मेलन की गतिविधियों से तो हम वाकिफ़़ नहीं | ||
− | |||
विश्व हिंदी सम्मेलन के बारे में ज़रूर जानते हैं | विश्व हिंदी सम्मेलन के बारे में ज़रूर जानते हैं | ||
− | |||
पर वह हमारी शाखा नहीं है | पर वह हमारी शाखा नहीं है | ||
− | |||
और विश्व हिंदू परिषद का हिंदू साहित्य सम्मेलन से कोई | और विश्व हिंदू परिषद का हिंदू साहित्य सम्मेलन से कोई | ||
− | |||
सीधा रिश्ता नहीं है... | सीधा रिश्ता नहीं है... | ||
− | |||
अव्वल तो आपकी मुराद शायद | अव्वल तो आपकी मुराद शायद | ||
− | |||
हिंदी साहित्य सम्मेलन से है... जी? अच्छा! | हिंदी साहित्य सम्मेलन से है... जी? अच्छा! | ||
− | |||
हिंदू साहित्य सम्मेलन फिर कोई दूसरी संस्था होगी। | हिंदू साहित्य सम्मेलन फिर कोई दूसरी संस्था होगी। | ||
− | |||
नागरी प्रचारिणी सभा के हम मेम्बर नहीं | नागरी प्रचारिणी सभा के हम मेम्बर नहीं | ||
− | |||
और हिंदी जाति परिषद का नाम तो कभी पहले सुना नहीं! | और हिंदी जाति परिषद का नाम तो कभी पहले सुना नहीं! | ||
− | |||
अच्छा, तो यह उत्तर-नेहरू विकास अध्ययन संस्थान का | अच्छा, तो यह उत्तर-नेहरू विकास अध्ययन संस्थान का | ||
− | |||
एक प्रकोष्ठ है! ठीक है। | एक प्रकोष्ठ है! ठीक है। | ||
− | |||
सुनिए, यह अकादमी एक अखिल भारतीय संस्था है | सुनिए, यह अकादमी एक अखिल भारतीय संस्था है | ||
− | |||
और नागरी प्रचारिणी सभा या हिंदी जाति परिषद - दरअसल - | और नागरी प्रचारिणी सभा या हिंदी जाति परिषद - दरअसल - | ||
− | |||
दूसरी तरह की अखिल भारतीय संस्थाएँ हैं | दूसरी तरह की अखिल भारतीय संस्थाएँ हैं | ||
− | |||
हमारा इनसे कोई झगड़ा नहीं - | हमारा इनसे कोई झगड़ा नहीं - | ||
− | |||
असल में ये ग़ैर सरकारी संगठन हैं और अकादमी | असल में ये ग़ैर सरकारी संगठन हैं और अकादमी | ||
− | |||
एक स्वायत्त संगठन। | एक स्वायत्त संगठन। | ||
− | |||
देखिए, हम न किसी के विरोध में हैं, न पक्ष में | देखिए, हम न किसी के विरोध में हैं, न पक्ष में | ||
− | |||
संविधान के आठवें शिड्यूल में जो भाषाएँ हैं | संविधान के आठवें शिड्यूल में जो भाषाएँ हैं | ||
− | |||
उन सबको अकादमी भारतीय भाषा का दर्ज़ा देती है | उन सबको अकादमी भारतीय भाषा का दर्ज़ा देती है | ||
− | |||
उर्दू भी - जैसा कि आप जानते हैं - आठवें शिड्यूल में है | उर्दू भी - जैसा कि आप जानते हैं - आठवें शिड्यूल में है | ||
− | |||
और नागरी प्रचारिणी वालों को भी इसका पता है। | और नागरी प्रचारिणी वालों को भी इसका पता है। | ||
− | |||
आप कुछ जिज्ञासु आदमी मालूम होते हैं | आप कुछ जिज्ञासु आदमी मालूम होते हैं | ||
− | |||
देखिए हिंदुत्व की परिभाषा अकादमी ने नहीं | देखिए हिंदुत्व की परिभाषा अकादमी ने नहीं | ||
− | |||
उच्चतम न्यायालय ने तय की है : हम तो | उच्चतम न्यायालय ने तय की है : हम तो | ||
− | |||
पालन के दोषी हैं | पालन के दोषी हैं | ||
− | |||
और अगर हम ऐसा बहुत लंबे समय से | और अगर हम ऐसा बहुत लंबे समय से | ||
− | |||
करते चले आ रहे हैं | करते चले आ रहे हैं | ||
− | |||
तो इसे गफ़लत नहीं, दूरंदेशी समझा जाना चाहिए। | तो इसे गफ़लत नहीं, दूरंदेशी समझा जाना चाहिए। | ||
+ | </poem> |
19:22, 8 नवम्बर 2009 के समय का अवतरण
साहित्य अकादमी के अफ़सरान आपके प्रश्नों से तंग आ चुके हैं।
उन्हें सताना बंद कीजिए - उन्हें नहीं मालूम बंदी कविराय का फ़ोन नंबर
और कलानाथ भा.प्र.से. के घर का पता
वे आपको कैसे मिला सकते हैं सुशीला गुजरांवाल से
या उनके ख़ाविंद से जिन्हें ख़ुद नहीं आजकल अपना पता!
कौन खोटे? महेश खोटे! अजी वो तो कभी के यहाँ से जा चुके...
महादेव प्रसाद से मिलिए या टेलिफ़ोन इंक्वायरी से पूछिए
महादेव प्रसाद? हाँ हाँ वही...
परसों ही की बात है फ़ोन की घंटी बजी और
अकादमी के सचिव से पूछा गया हमदर्द मुरादाबादी का
स्वास्थ्य अब कैसा है और अकादमी का कोई आदमी
उनके निवासस्थान पर तैनात है या नहीं...
और हास्य कविता महाकुंभ की तारीख़ें क्या बदल दी
गईं हैं और वो जो गुरदास कान आने वाले थे
कब आएंगे?
साहित्य अकादमी के कारकुन
शादी के सुंदर कार्ड बनवाने में आपकी मदद नहीं कर सकते
हाँ तलाक़शुदा लोगों का अकादमी अपने
वाचनालय में स्वागत करती है - वे बेहतरीन पाठक साबित होते हैं!
जी नहीं, मसख़रों की अखिल भारतीय डाइरेक्टरी हम नहीं छापते
हाँ कालातीत हास्य से जो रिश्ता साहित्य का बनता है उसको
अकादमी मानती है... और इस विषय पर
सेमिनार की योजना कुछ समय से विचाराधीन है।
जी निखिल हिंदू सम्मेलन की गतिविधियों से तो हम वाकिफ़़ नहीं
विश्व हिंदी सम्मेलन के बारे में ज़रूर जानते हैं
पर वह हमारी शाखा नहीं है
और विश्व हिंदू परिषद का हिंदू साहित्य सम्मेलन से कोई
सीधा रिश्ता नहीं है...
अव्वल तो आपकी मुराद शायद
हिंदी साहित्य सम्मेलन से है... जी? अच्छा!
हिंदू साहित्य सम्मेलन फिर कोई दूसरी संस्था होगी।
नागरी प्रचारिणी सभा के हम मेम्बर नहीं
और हिंदी जाति परिषद का नाम तो कभी पहले सुना नहीं!
अच्छा, तो यह उत्तर-नेहरू विकास अध्ययन संस्थान का
एक प्रकोष्ठ है! ठीक है।
सुनिए, यह अकादमी एक अखिल भारतीय संस्था है
और नागरी प्रचारिणी सभा या हिंदी जाति परिषद - दरअसल -
दूसरी तरह की अखिल भारतीय संस्थाएँ हैं
हमारा इनसे कोई झगड़ा नहीं -
असल में ये ग़ैर सरकारी संगठन हैं और अकादमी
एक स्वायत्त संगठन।
देखिए, हम न किसी के विरोध में हैं, न पक्ष में
संविधान के आठवें शिड्यूल में जो भाषाएँ हैं
उन सबको अकादमी भारतीय भाषा का दर्ज़ा देती है
उर्दू भी - जैसा कि आप जानते हैं - आठवें शिड्यूल में है
और नागरी प्रचारिणी वालों को भी इसका पता है।
आप कुछ जिज्ञासु आदमी मालूम होते हैं
देखिए हिंदुत्व की परिभाषा अकादमी ने नहीं
उच्चतम न्यायालय ने तय की है : हम तो
पालन के दोषी हैं
और अगर हम ऐसा बहुत लंबे समय से
करते चले आ रहे हैं
तो इसे गफ़लत नहीं, दूरंदेशी समझा जाना चाहिए।