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शिकवा किया था अज़ रहे-उल्फ़त, तंज़ समझकर रूठे हो | शिकवा किया था अज़ रहे-उल्फ़त, तंज़ समझकर रूठे हो |
19:25, 8 नवम्बर 2009 के समय का अवतरण
शिकवा किया था अज़ रहे-उल्फ़त, तंज़ समझकर रूठे हो
हम भी नादिम अपनी ख़ता पर, आओ, तुम भी जाने दो