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{{KKGlobal}}{{KKRachna|रचनाकार=अहमद अली 'बर्क़ी' आज़मी|संग्रह=}}{{KKCatGhazal}}<poem>है प्रदूषण की ज़रूरी रोक थाम
सब का जीना कर दिया जिसने हराम
आधुनिक युग का यह एक अभिशाप है
कल न जाने हो कहाँ यह बेलगाम
इसका जारी हर जगह प्रकोप है
हो नगर 'अहमद अली' या हो ग्राम</poem>
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