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"कहा था किस ने के अह्द-ए-वफ़ा करो उससे / फ़राज़" के अवतरणों में अंतर

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20:11, 8 नवम्बर 2009 का अवतरण

कहा था किसने के अहद-ए-वफ़ा करो उससे

जो यूँ किया है तो फिर क्यूँ गिला करो उससे



ये अह्ल-ए-बज़ तुनक हौसला सही फिर भी

ज़रा फ़साना-ए-दिल इब्तिदा करो उससे



ये क्या के तुम ही ग़म-ए-हिज्र के फ़साने कहो

कभी तो उसके बहाने सुना करो उससे



नसीब फिर कोई तक़्रीब-ए-क़र्ब हो के न हो

जो दिल में हों वही बातें किया करो उससे



"फ़राज़" तर्क-ए-त'अल्लुक़ तो ख़ैर क्या होगा

यही बहुत है के कम कम मिला करो उससे