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"साही / त्रिलोचन" के अवतरणों में अंतर

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साही के शरीर पर काँटे ही काँटे
होते हैं जो उस पर हमला करने वाले से
उस की रक्षा करते हैं।

जब संकट नहीं होता तब अंधेरी रात में
साही सावधानी से चलता है, उस के चलने से
काँटों से जो आवाज होती है उस से
जान पड़ता है कोई तरुणी पायल नूपुर पहने
प्रिय से मिलने के लिये जा रही है।

आत्मरक्षा के लिये साही के सभी काँटे
शत्रु को घायल कर देते हैं।

13.10.2002