भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"रतजगा / आग्नेय" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
 
पंक्ति 4: पंक्ति 4:
 
|संग्रह=मेरे बाद मेरा घर / आग्नेय
 
|संग्रह=मेरे बाद मेरा घर / आग्नेय
 
}}
 
}}
 
+
{{KKCatKavita}}
 +
<poem>
 
मुझे जागते रहना है--
 
मुझे जागते रहना है--
 
 
एक कथा और सुनाओ
 
एक कथा और सुनाओ
 
 
ख़त्म हो जाए तो और कथाएँ सुनाओ
 
ख़त्म हो जाए तो और कथाएँ सुनाओ
 
 
समुद्र में रहने वाली मछलियों
 
समुद्र में रहने वाली मछलियों
 
 
साइबेरिया से आने वाली बत्तखों
 
साइबेरिया से आने वाली बत्तखों
 
 
बब्बर शेर, चालक लोमड़ी, हँसते लकड़बग्घे की कथाएँ
 
बब्बर शेर, चालक लोमड़ी, हँसते लकड़बग्घे की कथाएँ
 
 
परिन्दों, दरख़्तों और जंगलों
 
परिन्दों, दरख़्तों और जंगलों
 
 
रेशम बुनते कीड़ों, घड़ियालों
 
रेशम बुनते कीड़ों, घड़ियालों
 
 
ध्रुवों पर जमी बर्फ़, प्राणरक्षक औषधियों
 
ध्रुवों पर जमी बर्फ़, प्राणरक्षक औषधियों
 
 
और सदाबहार वनस्पतियों की कथाएँ
 
और सदाबहार वनस्पतियों की कथाएँ
 
 
इन सबकी कथाएँ सुनाते रहना
 
इन सबकी कथाएँ सुनाते रहना
 
 
मुझे जगाए रखना
 
मुझे जगाए रखना
 
 
मेरे कानों में फुसफुसाकर कहना :
 
मेरे कानों में फुसफुसाकर कहना :
 
 
वे मनुष्यों की दुनिया से दुखी हैं
 
वे मनुष्यों की दुनिया से दुखी हैं
 
 
उनके संताप की कथा सुनाकर
 
उनके संताप की कथा सुनाकर
 
 
मुझे जगाए रखना
 
मुझे जगाए रखना
 +
</poem>

11:15, 9 नवम्बर 2009 के समय का अवतरण

मुझे जागते रहना है--
एक कथा और सुनाओ
ख़त्म हो जाए तो और कथाएँ सुनाओ
समुद्र में रहने वाली मछलियों
साइबेरिया से आने वाली बत्तखों
बब्बर शेर, चालक लोमड़ी, हँसते लकड़बग्घे की कथाएँ
परिन्दों, दरख़्तों और जंगलों
रेशम बुनते कीड़ों, घड़ियालों
ध्रुवों पर जमी बर्फ़, प्राणरक्षक औषधियों
और सदाबहार वनस्पतियों की कथाएँ
इन सबकी कथाएँ सुनाते रहना
मुझे जगाए रखना
मेरे कानों में फुसफुसाकर कहना :
वे मनुष्यों की दुनिया से दुखी हैं
उनके संताप की कथा सुनाकर
मुझे जगाए रखना