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वह आकाश की ओर
 
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देखती रही
 
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जबकि मैं उसके निकट
 
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छाया की तरह लिपटा था,
 
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उसका हाथ
 
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दूसरी स्त्री के कन्धे पर था,
 
दूसरी स्त्री के कन्धे पर था,
 
 
जबकि मैं उसके चारों ओर
 
जबकि मैं उसके चारों ओर
 
 
हवा की तरह ठहरा था,
 
हवा की तरह ठहरा था,
 
 
भरी-पूरी स्त्री का भरा-पूरा प्यार
 
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अन्तिम इच्छा की तरह जी लेने के लिए
 
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मैं उसे हरदम
 
मैं उसे हरदम
 
 
पल्लवित और फलवती
 
पल्लवित और फलवती
 
 
पृथ्वी की सम्पूर्णता की तरह
 
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रचता रहूंगा
 
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11:21, 9 नवम्बर 2009 के समय का अवतरण

वह आकाश की ओर
देखती रही
जबकि मैं उसके निकट
छाया की तरह लिपटा था,
उसका हाथ
दूसरी स्त्री के कन्धे पर था,
जबकि मैं उसके चारों ओर
हवा की तरह ठहरा था,
भरी-पूरी स्त्री का भरा-पूरा प्यार
अन्तिम इच्छा की तरह जी लेने के लिए
मैं उसे हरदम
पल्लवित और फलवती
पृथ्वी की सम्पूर्णता की तरह
रचता रहूंगा