भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"सोलह कला सरिस पंच दस हैँ बरिस / आत्मा" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=आत्मा }} <poem> सोलह कला सरिस पंच दस हैँ बरिस , चौदहोँ ...)
 
पंक्ति 3: पंक्ति 3:
 
|रचनाकार=आत्मा
 
|रचनाकार=आत्मा
 
}}
 
}}
 
+
{{KKCatKavita}}
 
<poem>
 
<poem>
 
सोलह कला सरिस पंच दस हैँ बरिस ,
 
सोलह कला सरिस पंच दस हैँ बरिस ,

11:24, 9 नवम्बर 2009 का अवतरण

सोलह कला सरिस पंच दस हैँ बरिस ,
चौदहोँ भुवन भरी दीपति विशाला है ।
तेरहू के पति बस द्वादश दिनेश तपैँ ,
ग्यारहू महेश जपैँ भूले ज्ञानमाला हैँ ।
दसहू दिशानन में कहेँ कवि आतमजू ,
नवनिधि आठो सिधि जाके द्वारपाला हैं ।
सातो सुर छैयो राग पांचो गान चारों ताल ,
तीनो ग्राम दोनोंविधि जानै एक बाला हैं ।


आत्मा का यह दुर्लभ छन्द श्री राजुल मेहरोत्रा के संग्रह से उपलब्ध हुआ है।