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"सावन-भादों साठ ही दिन हैं / इब्ने इंशा" के अवतरणों में अंतर

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सावन-भादों साठ ही दिन हैं फिर वो रुत की बात कहाँ
 
सावन-भादों साठ ही दिन हैं फिर वो रुत की बात कहाँ
 
 
अपने अश्क मुसलसल बरसें अपनी-सी बरसात कहाँ
 
अपने अश्क मुसलसल बरसें अपनी-सी बरसात कहाँ
 
  
 
चाँद ने क्या-क्या मंज़िल कर ली निकला, चमका, डूब गया
 
चाँद ने क्या-क्या मंज़िल कर ली निकला, चमका, डूब गया
 
 
हम जो आँख झपक लें सो लें ऎ दिल हमको रात कहाँ
 
हम जो आँख झपक लें सो लें ऎ दिल हमको रात कहाँ
 
  
 
पीत का कारोबार बहुत है अब तो और भी फैल चला
 
पीत का कारोबार बहुत है अब तो और भी फैल चला
 
 
और जो काम जहाँ को देखें, फुरसत दे हालात कहाँ
 
और जो काम जहाँ को देखें, फुरसत दे हालात कहाँ
 
  
 
क़ैस का नाम सुना ही होगा हमसे भी मुलाक़ात करो
 
क़ैस का नाम सुना ही होगा हमसे भी मुलाक़ात करो
 
 
इश्क़ो-जुनूँ की मंज़िल मुश्किल सबकी ये औक़ात कहाँ
 
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19:18, 9 नवम्बर 2009 का अवतरण

सावन-भादों साठ ही दिन हैं फिर वो रुत की बात कहाँ
अपने अश्क मुसलसल बरसें अपनी-सी बरसात कहाँ

चाँद ने क्या-क्या मंज़िल कर ली निकला, चमका, डूब गया
हम जो आँख झपक लें सो लें ऎ दिल हमको रात कहाँ

पीत का कारोबार बहुत है अब तो और भी फैल चला
और जो काम जहाँ को देखें, फुरसत दे हालात कहाँ

क़ैस का नाम सुना ही होगा हमसे भी मुलाक़ात करो
इश्क़ो-जुनूँ की मंज़िल मुश्किल सबकी ये औक़ात कहाँ

(रचनाकाल : )