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"दिग्भ्रमित बयार / इला कुमार" के अवतरणों में अंतर
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19:39, 9 नवम्बर 2009 के समय का अवतरण
उस रात
रचा गया
दूर से दिख सकने वाले दृश्य की
अनगढ़ कल्पना का द्वार
हवा ठकठकाती रही
हलकी सी टिकी सांकल की धकेल कर
भीतर घुस आने का साहस
वह नहीं जुटा पाई थी
सिर्फ़ अपने झनकते स्पर्श से
डरती बुझाती रही हमें
आसपास बिखरे
सत्यों को स्वीकारने का साहस
उस दिग्भ्रमित बयार में नहीं था