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"प्यार की नदी / इसाक अश्क" के अवतरणों में अंतर

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सूखी
 
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गुलदस्ते सी
 
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प्यार की नदी
 
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व्यक्ति
 
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संवेग सब
 
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मशीन हो गए
 
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जीवन के  
 
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सूत्र  
 
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सरेआम खो गए
 
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और कुछ न कर पाई
 
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यह नई सदी
 
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वर्तमान ने
 
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बदले
 
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ऐसे कुछ पैंतरे
 
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आशा  
 
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विश्वास  
 
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सभी पात सो झरे
 
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सपनों की
 
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सर्द लाश
 
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पीठ पर लदी।
 
पीठ पर लदी।
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20:05, 9 नवम्बर 2009 के समय का अवतरण

सूखी
गुलदस्ते सी
प्यार की नदी

व्यक्ति
संवेग सब
मशीन हो गए
जीवन के
सूत्र
सरेआम खो गए
और कुछ न कर पाई
यह नई सदी

वर्तमान ने
बदले
ऐसे कुछ पैंतरे
आशा
विश्वास
सभी पात सो झरे
सपनों की
सर्द लाश
पीठ पर लदी।