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"बड़े भाई से बातें / आभा बोधिसत्त्व" के अवतरणों में अंतर

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'''( उन तमाम भाइयों के लिए जो जीवन में असफल रहे)
 
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भाई तुम ईश्वर नहीं
 
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भाई हो
 
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भाई तुम पानी नहीं भाई हो
 
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बल्कि कह सकती हूँ साफ-साफ
 
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कि पिता कि कोई जगह नहीं तुम्हारे आगे।
 
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लेकिन भाई तुम ही बताओ
 
लेकिन भाई तुम ही बताओ
 
 
उस भाई का क्या करें
 
उस भाई का क्या करें
 
 
जो तुम्हारी ही तरह भाई है हमारा
 
जो तुम्हारी ही तरह भाई है हमारा
 
 
जो खोटे सिक्के सा फिर रहा है
 
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इस मुट्ठी से उस गल्ले तक
 
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मारा-मारा।
 
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जब कि
 
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उस भाई ने
 
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किया है छल कहीं ना कहीं खुद के साथ ही
 
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तो क्या उसकी सजा कहें भाई को
 
तो क्या उसकी सजा कहें भाई को
 
 
या कि
 
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सिर्फ गाहे-ब-गाहे
 
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गलबहियाँ दे कर सिर्फ भाई कहें उस
 
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भाई को।
 
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भाई जो मर्यादा है मुकुट है किसी का
 
भाई जो मर्यादा है मुकुट है किसी का
 
 
उस भाई का क्या करें
 
उस भाई का क्या करें
 
 
उसे रहने दें यूँ ही
 
उसे रहने दें यूँ ही
 
 
गुजरने दें ।
 
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माँ-बाप तो सिर्फ जन्म देते हैं
 
माँ-बाप तो सिर्फ जन्म देते हैं
 
 
युद्ध में तो भाई ही भाई को हथियार देता है
 
युद्ध में तो भाई ही भाई को हथियार देता है
 
 
सो युद्ध के संगी रहे भाई को हथियार दो
 
सो युद्ध के संगी रहे भाई को हथियार दो
 
 
युद्ध के गुर सिखाओ भाई को ।
 
युद्ध के गुर सिखाओ भाई को ।
 
 
  
 
तुम तो जानते हो
 
तुम तो जानते हो
 
 
कि उस भाई ने हमेशा मुंह की खाई है
 
कि उस भाई ने हमेशा मुंह की खाई है
 
 
जिया है तिल-तिल कर
 
जिया है तिल-तिल कर
 
 
भाई तुम तो
 
भाई तुम तो
 
 
सब कुछ जानते ही नहीं पहचानते भी हो कि
 
सब कुछ जानते ही नहीं पहचानते भी हो कि
 
 
जब भी आएगी दुख की घड़ी
 
जब भी आएगी दुख की घड़ी
 
 
भाई ही तुम्हारा संगी होगा
 
भाई ही तुम्हारा संगी होगा
 
 
जूझने के गुर सिखाओ उस भाई को ।
 
जूझने के गुर सिखाओ उस भाई को ।
 
  
 
अब क्या –क्या कहूँ तुमसे
 
अब क्या –क्या कहूँ तुमसे
 
 
पर जी होता है
 
पर जी होता है
 
 
कि एक टिमकना लगाऊँ तुम्हारे माथे पर
 
कि एक टिमकना लगाऊँ तुम्हारे माथे पर
 
 
ताकि दुनिया-जहान की नजर ना लगे तुम्हें।
 
ताकि दुनिया-जहान की नजर ना लगे तुम्हें।
 
  
 
भाई तुम ईश्वर नहीं
 
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भाई हो
 
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भाई तुम पानी नहीं भाई हो
 
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बल्कि कह सकती हूँ साफ-साफ
 
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कि पिता कि कोई जगह नहीं रही
 
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तुम्हारे आगे।
 
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23:26, 9 नवम्बर 2009 के समय का अवतरण

( उन तमाम भाइयों के लिए जो जीवन में असफल रहे)

भाई तुम ईश्वर नहीं
भाई हो
भाई तुम पानी नहीं भाई हो
बल्कि कह सकती हूँ साफ-साफ
कि पिता कि कोई जगह नहीं तुम्हारे आगे।

लेकिन भाई तुम ही बताओ
उस भाई का क्या करें
जो तुम्हारी ही तरह भाई है हमारा
जो खोटे सिक्के सा फिर रहा है
इस मुट्ठी से उस गल्ले तक
मारा-मारा।

जब कि
उस भाई ने
किया है छल कहीं ना कहीं खुद के साथ ही
तो क्या उसकी सजा कहें भाई को
या कि

सिर्फ गाहे-ब-गाहे
गलबहियाँ दे कर सिर्फ भाई कहें उस
भाई को।

भाई जो मर्यादा है मुकुट है किसी का
उस भाई का क्या करें
उसे रहने दें यूँ ही
गुजरने दें ।

माँ-बाप तो सिर्फ जन्म देते हैं
युद्ध में तो भाई ही भाई को हथियार देता है
सो युद्ध के संगी रहे भाई को हथियार दो
युद्ध के गुर सिखाओ भाई को ।

तुम तो जानते हो
कि उस भाई ने हमेशा मुंह की खाई है
जिया है तिल-तिल कर
भाई तुम तो
सब कुछ जानते ही नहीं पहचानते भी हो कि
जब भी आएगी दुख की घड़ी
भाई ही तुम्हारा संगी होगा
जूझने के गुर सिखाओ उस भाई को ।

अब क्या –क्या कहूँ तुमसे
पर जी होता है
कि एक टिमकना लगाऊँ तुम्हारे माथे पर
ताकि दुनिया-जहान की नजर ना लगे तुम्हें।

भाई तुम ईश्वर नहीं
भाई हो
भाई तुम पानी नहीं भाई हो
बल्कि कह सकती हूँ साफ-साफ
कि पिता कि कोई जगह नहीं रही
तुम्हारे आगे।