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यहाँ नदी किनारे मेरा घर है | यहाँ नदी किनारे मेरा घर है | ||
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घर की परछाई बनती है नदी में । | घर की परछाई बनती है नदी में । | ||
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रोज़ जाती हूँ सुबह-शाम नहाने गंगा में | रोज़ जाती हूँ सुबह-शाम नहाने गंगा में | ||
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गंगा से मांगती हूँ मनौती | गंगा से मांगती हूँ मनौती | ||
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एक बार देख पाऊँ तुम्हें फिर | एक बार देख पाऊँ तुम्हें फिर | ||
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एक बार छू पाऊँ तुम्हें फिर । | एक बार छू पाऊँ तुम्हें फिर । | ||
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एक बार पूछ पाऊँ तुमसे | एक बार पूछ पाऊँ तुमसे | ||
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कि कभी मेरी सुधि आती है | कि कभी मेरी सुधि आती है | ||
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गंगा कब सुनेंगी मेरी बातें | गंगा कब सुनेंगी मेरी बातें | ||
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कब पूरी होगी मेरी कामना | कब पूरी होगी मेरी कामना | ||
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ऐसी कुछ कठिन मांग तो नहीं है यह सब | ऐसी कुछ कठिन मांग तो नहीं है यह सब | ||
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यदि कठिन है तो मांगती हूँ कुछ आसान | यदि कठिन है तो मांगती हूँ कुछ आसान | ||
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कि किसी जनम हम-तुम | कि किसी जनम हम-तुम | ||
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एक ही खेत में दूब बन कर उगें | एक ही खेत में दूब बन कर उगें | ||
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तुम्हारी भी कोई इच्छा हो अधूरी | तुम्हारी भी कोई इच्छा हो अधूरी | ||
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तो मैं गंगा से मांग लूँ | तो मैं गंगा से मांग लूँ | ||
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मनौती, | मनौती, | ||
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गंगा मेरी सुनती हैं। | गंगा मेरी सुनती हैं। | ||
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(रचनाकाल : 15 सितंबर 2004) | (रचनाकाल : 15 सितंबर 2004) | ||
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23:31, 9 नवम्बर 2009 के समय का अवतरण
यहाँ नदी किनारे मेरा घर है
घर की परछाई बनती है नदी में ।
रोज़ जाती हूँ सुबह-शाम नहाने गंगा में
गंगा से मांगती हूँ मनौती
एक बार देख पाऊँ तुम्हें फिर
एक बार छू पाऊँ तुम्हें फिर ।
एक बार पूछ पाऊँ तुमसे
कि कभी मेरी सुधि आती है
गंगा कब सुनेंगी मेरी बातें
कब पूरी होगी मेरी कामना
ऐसी कुछ कठिन मांग तो नहीं है यह सब
यदि कठिन है तो मांगती हूँ कुछ आसान
कि किसी जनम हम-तुम
एक ही खेत में दूब बन कर उगें
तुम्हारी भी कोई इच्छा हो अधूरी
तो मैं गंगा से मांग लूँ
मनौती,
गंगा मेरी सुनती हैं।
(रचनाकाल : 15 सितंबर 2004)