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"आके क़ासिद ने कहा जो, वही अक्सर निकला / आरज़ू लखनवी" के अवतरणों में अंतर
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सुनके आवाज़ भी घर से न वह बाहर निकला॥ | सुनके आवाज़ भी घर से न वह बाहर निकला॥ | ||
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00:10, 10 नवम्बर 2009 के समय का अवतरण
आके क़ासिद ने कहा जो, वही अकसर निकला।
नामाबर समझे थे हम, वह तो पयम्बर निकला॥
बाएगु़रबत कि हुई जिसके लिए खाना-खराब।
सुनके आवाज़ भी घर से न वह बाहर निकला॥