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{{KKGlobal}}{{KKRachna|रचनाकार=नरेन्द्र जैन की पांच कविताएंचांदमारी}}{{KKCatKavita}}<poem>चांदमारी चान्दमारी एक खास ख़ास जगह होती हैजहां जहाँ खड़े किये गये नकली पुतलों को
गोली मारी जाती है
कोई न कोई होता ही है
निशाने की जद में
इधर कला और संस्कृति और साहित्य के
प्रभुतासम्पन्न केन्द्र विकसित किये जा रहे
चांदमारी के लिए
शिकार की खोज जारी रहती है
हवा और धूप भी
खास कोण से बहती और उतरती
एक खास किस्म के वैचारिक सद्भाव सद्भाव पर दिया जाता बल
प्रकारांतर से एक खास लक्ष्य की ओर रहते अग्रसर
किसी को आभास तक नहीं होता
और आंखें आँखें निकाल ले जाते वे
वे इसे नयी दृष्टि का विकसित होना कहते हैं
वे यकीन नहीं करते
गोली मार देने जैसे तरीकों में
वे भाषा में संेध सेंध लगाते हैं
और निर्वासित करते किसी को
भाषा के जीवंत कालखंड से
जिस्म पर नहीं आती कोई खरोंच
लेकिन बहुत से विचार हताहत होते हैं
नयी शक्ल में आ रहे
कुछ विचार।