भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
|रचनाकार=आरज़ू लखनवी
}}
{{KKCatGhazal}}
<poem>
साथ हर हिचकी के लब पर उनका नाम आया तो क्या?
मय से हूँ महरूप अब भी, जो शरीके-दौर हूँ।
पाए साक़ी से जो ठोकर खाके जाम आया तो क्या?
 
</poem>
Delete, KKSahayogi, Mover, Protect, Reupload, Uploader
19,164
edits