भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"वे तुम्हें मज़बूर करेंगे / आर. चेतनक्रांति" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
 
पंक्ति 4: पंक्ति 4:
 
|संग्रह=शोकनाच / आर. चेतनक्रांति
 
|संग्रह=शोकनाच / आर. चेतनक्रांति
 
}}
 
}}
 
+
{{KKCatKavita}}
 +
<poem>
 
वे तुम्हें मज़बूर करेंगे
 
वे तुम्हें मज़बूर करेंगे
 
 
कि तुम्हारा भी एक रूप हो निश्चित
 
कि तुम्हारा भी एक रूप हो निश्चित
 
 
कि तुम्हारा भी हो एक दावा
 
कि तुम्हारा भी हो एक दावा
 
 
कि हो तुम्हारा भी एक वादा
 
कि हो तुम्हारा भी एक वादा
 
  
 
कि तुम्हारा भी एक स्टैण्ड हो
 
कि तुम्हारा भी एक स्टैण्ड हो
 
 
कि तुम्हारी भी हो कोई `से´
 
कि तुम्हारी भी हो कोई `से´
 
  
 
वे तुम्हें मज़बूर करेंगे
 
वे तुम्हें मज़बूर करेंगे
 
 
कि रुको
 
कि रुको
 
 
और, कि या तो हाँ कहो या ना
 
और, कि या तो हाँ कहो या ना
 
 
कि चुप मत रहो
 
कि चुप मत रहो
 
 
कि कुछ भी बोलो–अगर झूठ है तो वही सही
 
कि कुछ भी बोलो–अगर झूठ है तो वही सही
 
 
वे तुम्हें मज़बूर करेंगे
 
वे तुम्हें मज़बूर करेंगे
 
 
कभी गालियों से
 
कभी गालियों से
 
 
कभी प्यार से
 
कभी प्यार से
 
 
कभी गुस्से से
 
कभी गुस्से से
 
 
कभी मार से
 
कभी मार से
 
 
कभी ठंडी उदासीनता से तुम्हें तुम्हारे कोने में अकेला छोड़
 
कभी ठंडी उदासीनता से तुम्हें तुम्हारे कोने में अकेला छोड़
 
 
दीवार पीछे खड़े हो इन्तज़ार करेंगे
 
दीवार पीछे खड़े हो इन्तज़ार करेंगे
 
 
वे तुम्हें अपने धैर्य से मज़बूर करेंगे
 
वे तुम्हें अपने धैर्य से मज़बूर करेंगे
 
  
 
वे तुम्हें मज़बूर करेंगे
 
वे तुम्हें मज़बूर करेंगे
 
 
कभी कहेंगे कि तुम फ़ालतू हो,
 
कभी कहेंगे कि तुम फ़ालतू हो,
 
 
कि ऐसा है तो तुम्हें मर जाना चाहिए
 
कि ऐसा है तो तुम्हें मर जाना चाहिए
 
 
वे तुम्हें अपने ठोस फैसलों से मज़बूर करेंगे
 
वे तुम्हें अपने ठोस फैसलों से मज़बूर करेंगे
 
 
वे तुम्हारे सामने एक शीशा रख देंगे
 
वे तुम्हारे सामने एक शीशा रख देंगे
 
 
और कहेंगे कि इससे डरो जो तुम्हें इसमें दिख रहा है
 
और कहेंगे कि इससे डरो जो तुम्हें इसमें दिख रहा है
 
  
 
वे तुम्हें मज़बूर करेंगे अपनी कल्पना से
 
वे तुम्हें मज़बूर करेंगे अपनी कल्पना से
 
 
और कल्पना की प्लानिंग से
 
और कल्पना की प्लानिंग से
 
 
वे कहेंगे कि तुम ईश्वर हो
 
वे कहेंगे कि तुम ईश्वर हो
 
 
बल्कि उससे भी ज्यादा ताकतवर
 
बल्कि उससे भी ज्यादा ताकतवर
 
 
आओ और हम पर राज करो
 
आओ और हम पर राज करो
 
  
 
वे तुम्हें मज़बूर करेंगे अपने समर्पण से।
 
वे तुम्हें मज़बूर करेंगे अपने समर्पण से।
 +
</poem>

00:36, 10 नवम्बर 2009 के समय का अवतरण

वे तुम्हें मज़बूर करेंगे
कि तुम्हारा भी एक रूप हो निश्चित
कि तुम्हारा भी हो एक दावा
कि हो तुम्हारा भी एक वादा

कि तुम्हारा भी एक स्टैण्ड हो
कि तुम्हारी भी हो कोई `से´

वे तुम्हें मज़बूर करेंगे
कि रुको
और, कि या तो हाँ कहो या ना
कि चुप मत रहो
कि कुछ भी बोलो–अगर झूठ है तो वही सही
वे तुम्हें मज़बूर करेंगे
कभी गालियों से
कभी प्यार से
कभी गुस्से से
कभी मार से
कभी ठंडी उदासीनता से तुम्हें तुम्हारे कोने में अकेला छोड़
दीवार पीछे खड़े हो इन्तज़ार करेंगे
वे तुम्हें अपने धैर्य से मज़बूर करेंगे

वे तुम्हें मज़बूर करेंगे
कभी कहेंगे कि तुम फ़ालतू हो,
कि ऐसा है तो तुम्हें मर जाना चाहिए
वे तुम्हें अपने ठोस फैसलों से मज़बूर करेंगे
वे तुम्हारे सामने एक शीशा रख देंगे
और कहेंगे कि इससे डरो जो तुम्हें इसमें दिख रहा है

वे तुम्हें मज़बूर करेंगे अपनी कल्पना से
और कल्पना की प्लानिंग से
वे कहेंगे कि तुम ईश्वर हो
बल्कि उससे भी ज्यादा ताकतवर
आओ और हम पर राज करो

वे तुम्हें मज़बूर करेंगे अपने समर्पण से।