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"सूर्यास्त के आसमान / आलोक धन्वा" के अवतरणों में अंतर

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उतने सूर्यास्त के उतने आसमान
 
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उनके उतने रंग
 
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लम्बी सडकों पर शाम
 
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धीरे बहुत धीरे छा रही शाम
 
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होटलों के आसपास
 
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खिली हुई रौशनी
 
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लोगों की भीड़
 
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दूर तक दिखाई देते उनके चेहरे
 
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उनके कंधे जानी -पह्चानी आवाजें
 
उनके कंधे जानी -पह्चानी आवाजें
 
  
 
कभी लिखेंगें कवि इसी देश में
 
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इन्हें भी घटनाओं की तरह!
 
इन्हें भी घटनाओं की तरह!
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00:53, 10 नवम्बर 2009 के समय का अवतरण

उतने सूर्यास्त के उतने आसमान
उनके उतने रंग
लम्बी सडकों पर शाम
धीरे बहुत धीरे छा रही शाम
होटलों के आसपास
खिली हुई रौशनी
लोगों की भीड़
दूर तक दिखाई देते उनके चेहरे
उनके कंधे जानी -पह्चानी आवाजें

कभी लिखेंगें कवि इसी देश में
इन्हें भी घटनाओं की तरह!