भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"एक रुबाई / आसी ग़ाज़ीपुरी" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) |
|||
(इसी सदस्य द्वारा किया गया बीच का एक अवतरण नहीं दर्शाया गया) | |||
पंक्ति 3: | पंक्ति 3: | ||
|रचनाकार= आसी ग़ाज़ीपुरी | |रचनाकार= आसी ग़ाज़ीपुरी | ||
}} | }} | ||
− | + | {{KKCatRubaayi}} | |
<poem> | <poem> | ||
दागे़दिल दिलबर नहीं, सिने से फिर लिपटा हूँ क्यों? | दागे़दिल दिलबर नहीं, सिने से फिर लिपटा हूँ क्यों? |
01:14, 10 नवम्बर 2009 के समय का अवतरण
दागे़दिल दिलबर नहीं, सिने से फिर लिपटा हूँ क्यों?
मैं दिलेदुश्मन नहीं, फिर यूँ जला जाता हूँ क्यों?
रात इतना कहके फिर आशिक़ तेरा ग़श कर गया।
"जब वही आते नहीं , मैं होश में आता हूँ क्यों?