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"ताबे-दीदार जो लाये मुझे वो दिल देना / आसी ग़ाज़ीपुरी" के अवतरणों में अंतर
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ताबे-दीदार जो लाये मुझे वो दिल देना। | ताबे-दीदार जो लाये मुझे वो दिल देना। |
01:16, 10 नवम्बर 2009 के समय का अवतरण
ताबे-दीदार जो लाये मुझे वो दिल देना।
मुँह क़यामत में दिखा सकने के क़ाबिल देना॥
रश्के-खुरशीद-जहाँ-ताब दिया दिल मुझ को।
कोई दिलबर भी इसी दिल के मुक़ाबिल देना॥
अस्ल फ़ित्ना है, क़यामत में बहारे-फ़रदौस।
जुज़ तेरे कुछ भी न चाहे मुझे वो दिल देना॥
तेरे दीवाने का बेहाल ही रहना अच्छा।
हाल देना हो अगर रहम के क़ाबिल देना॥
हाय-रे-हाय तेरी उक़्दाकुशाई के मज़े।
तू ही खोले जिसे वो उक़्दये-मुश्किल देना॥