भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"मृगनैनी की पीठ पै बेनी लसै / गँग" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=गँग }} Category:पद <poeM>मृगनैनी की पीठ पै बेनी लसै, सुख स...)
 
पंक्ति 5: पंक्ति 5:
 
[[Category:पद]]
 
[[Category:पद]]
 
<poeM>मृगनैनी की पीठ पै बेनी लसै, सुख साज सनेह समोइ रही।
 
<poeM>मृगनैनी की पीठ पै बेनी लसै, सुख साज सनेह समोइ रही।
सुचि चीकनी चारु चुभी चित मैं, भरि भौन भरी खुसबोई रही॥
+
सुचि चीकनी चारु चुभी चित में, भरि भौन भरी खुसबोई रही॥
कवि 'गंग जू या उपमा जो कियो, लखि सूरति या स्रुति गोइ रही।
+
कवि 'गंग’ जू या उपमा जो कियो, लखि सूरति या स्रुति गोइ रही।
 
मनो कंचन के कदली दल पै, अति साँवरी साँपिन सोइ रही॥
 
मनो कंचन के कदली दल पै, अति साँवरी साँपिन सोइ रही॥
 
</poeM>
 
</poeM>

22:02, 10 नवम्बर 2009 का अवतरण

मृगनैनी की पीठ पै बेनी लसै, सुख साज सनेह समोइ रही।
सुचि चीकनी चारु चुभी चित में, भरि भौन भरी खुसबोई रही॥
कवि 'गंग’ जू या उपमा जो कियो, लखि सूरति या स्रुति गोइ रही।
मनो कंचन के कदली दल पै, अति साँवरी साँपिन सोइ रही॥