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"अति सूधो सनेह को मारग है / घनानंद" के अवतरणों में अंतर
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− | तहाँ साँचे चलैं तजि आपनपौ | + | तहाँ साँचे चलैं तजि आपनपौ झिझकैं कपटी जे निसाँक नहीं॥ |
− | घनआनंद प्यारे सुजान सुनौ यहाँ एक | + | घनआनंद प्यारे सुजान सुनौ यहाँ एक ते दूसरो आँक नहीं। |
− | तुम कौन धौं पाटी पढ़े हौ | + | तुम कौन धौं पाटी पढ़े हौ लला, मन लेहु पै देहु छटाँक नहीं॥ |
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22:04, 10 नवम्बर 2009 का अवतरण
अति सूधो सनेह को मारग है जहाँ नेकु सयानप बाँक नहीं।
तहाँ साँचे चलैं तजि आपनपौ झिझकैं कपटी जे निसाँक नहीं॥
घनआनंद प्यारे सुजान सुनौ यहाँ एक ते दूसरो आँक नहीं।
तुम कौन धौं पाटी पढ़े हौ लला, मन लेहु पै देहु छटाँक नहीं॥