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"सावन यों सजता है / त्रिलोचन" के अवतरणों में अंतर

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22:25, 10 नवम्बर 2009 के समय का अवतरण

इमली की ड़ाल पर
बरेत से लोग झूला डालते हैं
पटरे पर तीन चार जनियाँ
बैठती हैं, गाती हैं कजरियाँ,
झूले पर दोनों ओर
एक एक जनी चढ़ाई पर
पेंग मारने का काम करती हैं
सावन यों सजता है।

इमली में फूल समय पा कर
फ़ल आने लगते हैं
कच्चे होते हैं तभी इक्के दुक्के जन
चखने लगते हैं,
पक जाने पर इन्हें तोड़ कर
घर ले जाते हैं लोग
और मनचाहा रूप इन को देते हैं।

8.11.2002