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"राजधानी में बैल 5 / उदय प्रकाश" के अवतरणों में अंतर

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आई.टी.ओ. पुल के पास
 
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दिल्ली के सबसे व्यस्त चौराहे पर
 
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खड़ा है बैल
 
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उसे स्मृति में दिखते हैं
 
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गोधूलि में जंगल से गांव लौटते
 
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अपने पितर-पुरखे
 
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उसकी आंखों के सामने
 
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किसी विराट हरे समुद्र की तरह
 
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फैला हुआ कौंधता है
 
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चारागाह
 
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उसके कानों में गूंजती रहती है
 
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पुरखों के रंभाने की आवाजें
 
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स्मृतियों से बार-बार उसे पुकारती हुई
 
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उनकी व्याकुल टेर
 
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बयालीस लाख या सैंतालीस लाख
 
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कारों और वाहनों की रफ़्तार और हॉर्न के बीच
 
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गहरे असमंजस में जड़ है वह
 
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आई.टी.ओ. पुल के चौराहे से
 
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कहां जाना चाहिए उसे
 
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पितरों-पुरखों के गांव की ओर
 
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जहां नहीं बचे हैं अब चारागाह
 
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या फिर कनॉटप्लेस या पालम हवाई अड्डे की दिशा में
 
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जहां निषिद्ध है सदा के लिए
 
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उसका प्रवेश ।
 
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23:01, 10 नवम्बर 2009 का अवतरण

आई.टी.ओ. पुल के पास
दिल्ली के सबसे व्यस्त चौराहे पर
खड़ा है बैल

उसे स्मृति में दिखते हैं
गोधूलि में जंगल से गांव लौटते
अपने पितर-पुरखे

उसकी आंखों के सामने
किसी विराट हरे समुद्र की तरह
फैला हुआ कौंधता है
चारागाह

उसके कानों में गूंजती रहती है
पुरखों के रंभाने की आवाजें
स्मृतियों से बार-बार उसे पुकारती हुई
उनकी व्याकुल टेर

बयालीस लाख या सैंतालीस लाख
कारों और वाहनों की रफ़्तार और हॉर्न के बीच
गहरे असमंजस में जड़ है वह
आई.टी.ओ. पुल के चौराहे से
कहां जाना चाहिए उसे

पितरों-पुरखों के गांव की ओर
जहां नहीं बचे हैं अब चारागाह
या फिर कनॉटप्लेस या पालम हवाई अड्डे की दिशा में

जहां निषिद्ध है सदा के लिए
उसका प्रवेश ।