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"खेल / उदय प्रकाश" के अवतरणों में अंतर

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उससे दूसरे लड़के ने
 
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'अबे राजा की पूँछ के बाल
 
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मैं चोर नहीं हूँ'
 
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और खेल  
 
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बिगड़ गया ।
 
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23:47, 10 नवम्बर 2009 के समय का अवतरण

जो लड़का
सिपाही बना था
उससे दूसरे लड़के ने
अकड़कर कहा--

'अबे राजा की पूँछ के बाल
मैं चोर नहीं हूँ'

और खेल
बिगड़ गया ।