"और पत्ते गिर रहे हैं इस तरह लगातार-3 / उदय प्रकाश" के अवतरणों में अंतर
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|संग्रह= रात में हारमोनिययम / उदय प्रकाश | |संग्रह= रात में हारमोनिययम / उदय प्रकाश | ||
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राजधानी में सबसे ज़्यादा रोशनी से जगमगाती सड़क पर | राजधानी में सबसे ज़्यादा रोशनी से जगमगाती सड़क पर | ||
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जब छा जाएगा आँखों के सामने अंधेरा अचानक | जब छा जाएगा आँखों के सामने अंधेरा अचानक | ||
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एक मारुति कार तेज़ी से स्टार्ट होकर गुज़र जाएगी | एक मारुति कार तेज़ी से स्टार्ट होकर गुज़र जाएगी | ||
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अपराध, संस्कृति, आक्रामकता, राजनीति | अपराध, संस्कृति, आक्रामकता, राजनीति | ||
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प्रापर्टी, दलाली, साम्प्रदायिकता, पत्रकारिता, हिंसा | प्रापर्टी, दलाली, साम्प्रदायिकता, पत्रकारिता, हिंसा | ||
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सबका एक साथ बजता हार्न | सबका एक साथ बजता हार्न | ||
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पूरी पृथ्वी पर गूँजता-सा लगेगा उस आख़िरी पल | पूरी पृथ्वी पर गूँजता-सा लगेगा उस आख़िरी पल | ||
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एक ताक़तवर संस्कृति अधिकारी अपनी स्टेनो से टेलिफ़ोन पर करता | एक ताक़तवर संस्कृति अधिकारी अपनी स्टेनो से टेलिफ़ोन पर करता | ||
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प्रेमालाप | प्रेमालाप | ||
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ज़िक्र करेगा हिन्दी में एक दम्भी-दरिद्र कवि के | ज़िक्र करेगा हिन्दी में एक दम्भी-दरिद्र कवि के | ||
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बीच सड़क पर | बीच सड़क पर | ||
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अचानक मर जाने का | अचानक मर जाने का | ||
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स्टेनो कहेगी, "सर, मुझे भी करना चाहा था | स्टेनो कहेगी, "सर, मुझे भी करना चाहा था | ||
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उसने एक बार प्यार। लेकिन आपके कहने पर मैंने दी उसे नींद की गोलियाँ | उसने एक बार प्यार। लेकिन आपके कहने पर मैंने दी उसे नींद की गोलियाँ | ||
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अब किस का है इंतज़ार..." | अब किस का है इंतज़ार..." | ||
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पृथ्वीराज रोड के दोनों तरफ़ खड़े पेड़ों के पत्ते | पृथ्वीराज रोड के दोनों तरफ़ खड़े पेड़ों के पत्ते | ||
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गिरना शुरू करेंगे | गिरना शुरू करेंगे | ||
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कोई नहीं सोचेगा क्यों ऎसा हो रहा है | कोई नहीं सोचेगा क्यों ऎसा हो रहा है | ||
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कि नहीं है यह हेमन्त और पत्ते गिर रहे हैं इस तरह लगातार | कि नहीं है यह हेमन्त और पत्ते गिर रहे हैं इस तरह लगातार | ||
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कोई नहीं सोचेगा | कोई नहीं सोचेगा | ||
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कि सर्वोच्च न्यायालय से निकलता हुआ न्यायाधीश | कि सर्वोच्च न्यायालय से निकलता हुआ न्यायाधीश | ||
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काले कपड़े में बार-बार | काले कपड़े में बार-बार | ||
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क्यों छुपा रहा है अपना चेहरा | क्यों छुपा रहा है अपना चेहरा | ||
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कालिख़ क्यों जमा होती जा रही है | कालिख़ क्यों जमा होती जा रही है | ||
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संसद की दीवारों पर | संसद की दीवारों पर | ||
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कई दिन बाद सिर्फ़ एक अकेली और उदास लड़की | कई दिन बाद सिर्फ़ एक अकेली और उदास लड़की | ||
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रवीन्द्र भवन के लान में खड़ी | रवीन्द्र भवन के लान में खड़ी | ||
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पूश्किन की मूर्ति की आँखों को देख कर चौंक पड़ेगी आश्चर्य से अचानक | पूश्किन की मूर्ति की आँखों को देख कर चौंक पड़ेगी आश्चर्य से अचानक | ||
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और पोंछना चाहेगी पसीने में भीगे अपने रुमाल से | और पोंछना चाहेगी पसीने में भीगे अपने रुमाल से | ||
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उसके आँसू | उसके आँसू | ||
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फिर वह कहेगी- ’धत’ | फिर वह कहेगी- ’धत’ | ||
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और उसे भी हँसी आ जाएगी | और उसे भी हँसी आ जाएगी | ||
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00:18, 11 नवम्बर 2009 के समय का अवतरण
राजधानी में सबसे ज़्यादा रोशनी से जगमगाती सड़क पर
जब छा जाएगा आँखों के सामने अंधेरा अचानक
एक मारुति कार तेज़ी से स्टार्ट होकर गुज़र जाएगी
अपराध, संस्कृति, आक्रामकता, राजनीति
प्रापर्टी, दलाली, साम्प्रदायिकता, पत्रकारिता, हिंसा
सबका एक साथ बजता हार्न
पूरी पृथ्वी पर गूँजता-सा लगेगा उस आख़िरी पल
एक ताक़तवर संस्कृति अधिकारी अपनी स्टेनो से टेलिफ़ोन पर करता
प्रेमालाप
ज़िक्र करेगा हिन्दी में एक दम्भी-दरिद्र कवि के
बीच सड़क पर
अचानक मर जाने का
स्टेनो कहेगी, "सर, मुझे भी करना चाहा था
उसने एक बार प्यार। लेकिन आपके कहने पर मैंने दी उसे नींद की गोलियाँ
अब किस का है इंतज़ार..."
पृथ्वीराज रोड के दोनों तरफ़ खड़े पेड़ों के पत्ते
गिरना शुरू करेंगे
कोई नहीं सोचेगा क्यों ऎसा हो रहा है
कि नहीं है यह हेमन्त और पत्ते गिर रहे हैं इस तरह लगातार
कोई नहीं सोचेगा
कि सर्वोच्च न्यायालय से निकलता हुआ न्यायाधीश
काले कपड़े में बार-बार
क्यों छुपा रहा है अपना चेहरा
कालिख़ क्यों जमा होती जा रही है
संसद की दीवारों पर
कई दिन बाद सिर्फ़ एक अकेली और उदास लड़की
रवीन्द्र भवन के लान में खड़ी
पूश्किन की मूर्ति की आँखों को देख कर चौंक पड़ेगी आश्चर्य से अचानक
और पोंछना चाहेगी पसीने में भीगे अपने रुमाल से
उसके आँसू
फिर वह कहेगी- ’धत’
और उसे भी हँसी आ जाएगी