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"जब तेरी याद के जुगनू चमके / फ़राज़" के अवतरणों में अंतर

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17:32, 11 नवम्बर 2009 का अवतरण

जब तेरी याद के जुगनू चमके
देर तक आँख में आँसू चमके

सख़्त तारीक<ref>घनी अँधेरी</ref> है दिल की दुनिया
ऐसे आलम<ref>ऐसी दशा में</ref> में अगर तू चमके

हमने देखा सरे-बाज़ारे-वफ़ा<ref>वफ़ादारी के बाज़ार में</ref>
कभी मोती कभी आँसू चमके

शर्त है शिद्दते-अहसासे-जमाल<ref>सौंदर्य की तीव्रता</ref>
रंग तो रंग है ख़ुशबू चमके

आँख मजबूर-ए-तमाशा<ref>तमाशे के लिए विवश</ref>है ‘फ़राज़’
एक सूरत है कि हरसू<ref>हर तरफ़</ref> चमके

शब्दार्थ
<references/>